सच्ची मित्रता में
दक्ष वैद्य की सी
निपुणता एवं
सूक्ष्म निरूपणता
तथा माता का सा
धैर्य होता है ...
सच्चे विश्वस्त मित्र
जीवन की अनमोल
औषधि हीं तो हैं
जो अपनी स्नेहिल
छाया में समेटकर
जग-कानन की
भस्मीभूत कर देने वाली
संतप्तता,
वैमनस्यता से
अपने सखा को
निरापद रखते हैं ... !!
© कंचन पाठक.
ये मेरे उद्गार कुछ और नहीं बस तीव्रता है ... मेरी संवेदनाओं की जिन्हें मैं,शब्दबद्ध कर आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही हूँ ... l इनसे मैं, हमारे और आपके मध्य भावनाओं के स्नेहसिक्त सेतु का निर्माण करने का प्रयत्न भर कर रही हूँ .... || - कंचन पाठक.
Wednesday, 23 October 2013
Friday, 18 October 2013
Thursday, 17 October 2013
Thursday, 10 October 2013
" प्रेम की नगरी - सुन्दर नगरी "

एक बलशाली राजा के
अमर्यादित आचरण ने
एक सरल, स्वाभिमानी
और
विद्वान् ब्राहमण को
कौटिल्य बना दिया.
प्रतिशोध की ज्वाला से
जन्म हुआ
इतिहास के प्रथम
युगनिर्माता, युगपुरुष का.
परिणाम क्या हुआ ?
मगध सम्राट महानंद
से अपमानित होने के बाद
सीधे-साधे चरित्रवान ब्राह्मण
विष्णुगुप्त (चाणक्य)
ने मुरापुत्र चन्द्रगुप्त
को शिष्य बनाया.
दासीपुत्र, कुँवारी माँ का बेटा
चन्द्रगुप्त ...
राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ,
कुशाग्र बुद्धि के अर्थशास्त्री
के मार्गदर्शन में
महानंद को पराजित कर
मगध सम्राट बना.
अपने आचरण से
महानंद स्वयं अपने
और अपने साम्राज्य के
विनाश का कारण बना.
चन्द्रगुप्त महान ने
यूनानी सम्राट
महाबलशाली सिकंदर
तक को परास्त किया.
सेनापति सेल्युकस ने
अपनी बेटी हेलेना से
विवाह की प्रार्थना की.
अजेय अपराजेय
सम्राट चन्द्रगुप्त ...
बिम्बसार -
चक्रवर्ती सम्राट अशोक -
चन्द्रगुप्त का पोता ...
आधा खून हिन्दुस्तानी
आधा यूनानी ...
ना जाने कितने युद्ध ...
अनगिनत लाशें बिछीं
खून हीं खून.
अंत क्या हुआ ?
अंततः सम्पूर्ण राजपाट,
ऐश्वर्य छोड़कर
बौद्ध धर्म स्वीकार कर
संन्यासी हो गया.
लड़ाईयां, प्रतिशोध,
हिंसा, युद्ध की ज्वाला ...
अंततः सब कुछ
जलाकर राख कर देती है.
© कंचन पाठक.
Wednesday, 2 October 2013
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