ये मेरे उद्गार कुछ और नहीं बस तीव्रता है ...
मेरी संवेदनाओं की जिन्हें मैं,शब्दबद्ध कर आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही हूँ ... l
इनसे मैं, हमारे और आपके मध्य भावनाओं के स्नेहसिक्त सेतु का निर्माण करने का प्रयत्न भर कर रही हूँ .... ||
- कंचन पाठक.
Saturday 17 May 2014
" कैसे हो तुम "
मालकोश का राग मधुर या आतुर प्रश्न तुम्हारा कैसे हो तुम पूछ रहा वो झिलमिल निमिष सितारा महानील में लाखों तारे कहता है इकतारा टिम-टिम करता नीला तारा जान से मुझको प्यारा !!
Main achha noon :)
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