Saturday 15 March 2014

" रंग है मन पर "


रंग है तन पर  
रंग है मन पर 
आज हर एक
ह्रदय में उत्साह है !
फगुनाई हर ओर
चढ़ी है जम कर
मस्ती का स्वच्छंद
मुक्त प्रवाह है !
बाँध लो कान्हा
नेह भरे आलिंगन में
बहके मन की
बहकी सी यह चाह है !
मद्धम मद्धम सी
तन मन में दहक रही
मीठी - मीठी सी
कैसी....ये दाह है !
श्याम रंग में लीन हो
सब जग बिसरा दूँ 
तुम्हें समर्पित अब
ये जीवन राह है... !!
© कंचन पाठक.
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